
जब भी बिहार का जिक्र होता है, तो एक सवाल जरूर उठता है – “बिहार में का बा?” यानी बिहार में है क्या? यह सवाल उन लोगों की जुबान पर होता है जो बिहार को सिर्फ समस्याओं के चश्मे से देखते हैं। लेकिन अगर बिहार में वाकई कुछ नहीं है, तो फिर हर चुनाव में क्यों पूरा देश बिहार की तरफ देखता है? क्यों हर राजनीतिक दल बिहार में अपनी किस्मत आजमाना चाहता है? क्यों सिर्फ 40 लोकसभा और 243 विधानसभा सीटों के लिए इतना हंगामा होता है?
सच यह है कि बिहार सिर्फ संख्याओं का खेल नहीं है। यह वह धरती है जिसने इतिहास में क्रांतियां दी हैं, आंदोलन दिए हैं, जागरूकता दी है। जिस बिहार ने देश को नालंदा और विक्रमशिला जैसी यूनिवर्सिटी दीं, जिस धरती से बौद्ध धर्म ने पूरी दुनिया में शांति का संदेश फैलाया, जहां से चंपारण सत्याग्रह ने देश को आजादी की राह दिखाई, जिस मिट्टी ने देश को अनाज दिया, संस्कृति दी, साहित्य दिया – उस बिहार के बारे में आज भी लोग पूछते हैं “का बा?”
यह सवाल खुद बिहार पर नहीं, बल्कि हमारी सोच पर सवाल उठाता है। अगर आप भी यही सवाल पूछते हैं, तो इस वीकेंड बिहार को समझने में थोड़ा समय लगाइए। शुरुआती जानकारी यहां है, बाकी आप खुद रिसर्च कर सकते हैं। 113 साल के बिहार को समझना एक दिन का काम नहीं है, लेकिन शुरुआत तो की जा सकती है।
राजनीतिक जागरूकता: जहां क्षेत्रीय दल आज भी खड़े हैं
बिहार की राजनीति को समझना आसान नहीं है, लेकिन यही इसकी खूबसूरती भी है। जब पूरे देश में क्षेत्रीय पार्टियां सिकुड़ रही हैं, तब बिहार में वे आज भी मजबूती से खड़ी हैं। यह बिहार की राजनीतिक जागरूकता का सबूत है। यहां की जनता अंधी नहीं है – वह सवाल पूछती है, जवाब मांगती है, और अपने वोट की कीमत जानती है।
22 मार्च, 1912 को बिहार की स्थापना हुई थी। 2025 में बिहार ने अपनी स्थापना के 113 वर्ष पूरे किए। इन 113 सालों में बिहार ने देश की राजनीति को कई बार दिशा दी है। यहां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड, लोक जनशक्ति पार्टी जैसी क्षेत्रीय पार्टियों का वर्चस्व है। अब जनसुराज भी एक नए दल के रूप में उभरा है।
बिहार में विधानसभा की 243 सीटें हैं, लोकसभा की 40 सीटें और राज्यसभा की 16 सीटें। यहां दो सदन हैं – विधानसभा और विधान परिषद। विधान परिषद में 75 सीटें हैं। ये सिर्फ संख्याएं नहीं हैं – यह उस लोकतांत्रिक ताकत का प्रतीक है जो बिहार को पूरे देश में अहम बनाती है।
2 अक्टूबर, 2023 को बिहार सरकार ने जातीय गणना के आंकड़े जारी किए। बिहार जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी करने वाला पहला राज्य बना। इससे पहले 1931 में ऐसी गणना हुई थी। आंकड़ों के अनुसार, बिहार में यादव समुदाय की आबादी सबसे अधिक है – 14.26%। इसके बाद रविदास (5.2%), कोइरी (4.2%), ब्राह्मण (3.65%), राजपूत (3.45%) और अन्य जातियां आती हैं। कुल आबादी 13 करोड़ है।
यह जातिगत विविधता बिहार की राजनीति को जटिल भी बनाती है और समृद्ध भी। यहां कोई एक जाति या समुदाय पूरी तरह हावी नहीं है, इसलिए राजनीति में गठबंधन और समझदारी जरूरी है। यही वजह है कि बिहार की राजनीति पूरे देश के लिए एक मॉडल बन जाती है।
संभावना और विविधता: कृषि से लेकर संस्कृति तक
बिहार का क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किलोमीटर है, जो भारत के कुल क्षेत्रफल का केवल 2.86% है। लेकिन इस छोटे से क्षेत्र में जो विविधता है, वह अद्भुत है। बिहार के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में झारखंड, पूरब में पश्चिम बंगाल और पश्चिम में उत्तर प्रदेश है। यहां कुल 38 जिले हैं, जिन्हें 9 प्रमंडलों में बांटा गया है। सबसे नया जिला अरवल है, जो अगस्त 2001 में बना था।
बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है। यहां की 85% जनसंख्या कृषि पर आश्रित है। कृषि योग्य भूमि 80% से ज्यादा है। यहां धान मुख्य फसल है, और दलहन के उत्पादन में बिहार देश में अव्वल है। गंगा, घाघरा, सोन और कोसी जैसी नदियां बिहार की धरती को उपजाऊ बनाती हैं। यहां की मिट्टी में वह ताकत है जो पूरे देश को अन्न देती है।
लेकिन बिहार की संपदा सिर्फ खेतों तक सीमित नहीं है। यहां की सांस्कृतिक विविधता अद्वितीय है। हिंदी बिहार की राजभाषा है और उर्दू द्वितीय राजभाषा। मैथिली भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल एकमात्र बिहारी भाषा है। इसके अलावा भोजपुरी, मगही, अंगिका और बज्जिका जैसी भाषाएं यहां बोली जाती हैं। हर भाषा का अपना साहित्य है, अपना लोकगीत है, अपनी पहचान है।
बिहार में प्राकृतिक वन क्षेत्र लगभग 6,845 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जो राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 7.27% है। यहां वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व जैसे संरक्षित क्षेत्र हैं। बिहार की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट आंग है, जिसकी ऊंचाई 3,690 मीटर है। राजगीर की पहाड़ियां, कैमूर की पहाड़ियां, गड्ढकूट की पहाड़ियां और मुंगेर की पहाड़ियां बिहार के भूगोल को विविधता देती हैं।
3 मार्च, 2025 को वित्तमंत्री सम्प्रत चौधरी ने विधानसभा में 3.17 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया। यह पिछले वर्ष से 13.7% अधिक था। सबसे बड़ी बात यह है कि इस बजट का 21.7% यानी करीब 61 हजार करोड़ रुपए शिक्षा के लिए रखा गया है। यह दर्शाता है कि बिहार अपनी चुनौतियों को समझता है और उन्हें दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है।
लेता कम और देता ज्यादा है बिहार
बिहार के बारे में सबसे बड़ा मिथक यह है कि यह सिर्फ लेता है। लेकिन सच्चाई इसके ठीक उलट है। बिहार ने देश को क्या नहीं दिया? नालंदा और विक्रमशिला जैसी विश्वविद्यालयें, जहां दुनिया भर से विद्यार्थी पढ़ने आते थे। बौद्ध धर्म, जिसने पूरी दुनिया को अहिंसा और करुणा का पाठ पढ़ाया। चंपारण का सत्याग्रह, जिसने भारत की आजादी की नींव रखी।
बिहार ने देश को अनगिनत स्वतंत्रता सेनानी दिए, विद्वान दिए, कलाकार दिए। राष्ट्रीय जनगणना 2011 के अनुसार, बिहार की साक्षरता दर 61.80% है – जो निराशाजनक लगती है। लेकिन यही बिहार अपने बजट का 21% से अधिक शिक्षा पर खर्च कर रहा है। यह दिखाता है कि बिहार पिछड़ा नहीं, बल्कि पीछे धकेला गया है।
बिहार की कुल आय यानी सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) 2025-26 के लिए 10.97 लाख करोड़ रुपए अनुमानित है। यह छोटी रकम नहीं है। बिहार अपनी क्षमता को पहचान रहा है और आगे बढ़ रहा है।
लिंगानुपात में बिहार का स्थान 918/1000 है। यह राष्ट्रीय औसत से कम जरूर है, लेकिन कई तथाकथित विकसित राज्यों से बेहतर है। सबसे अधिक लिंगानुपात वाला जिला गोपालगंज और सबसे कम मुंगेर है।
बिहार में खरीफ की खेती जून-जुलाई में शुरू होती है और नवंबर-दिसंबर में काटी जाती है। रबी की फसलें अक्टूबर-नवंबर में बोई जाती हैं। धान, गेहूं, मक्का, दलहन – बिहार का किसान देश को खिलाता है। और यह वही किसान है जिसके पास औसतन 80% से अधिक भूमि छोटे टुकड़ों में बंटी है।
जब अगली बार कोई पूछे “बिहार में का बा?”, तो जवाब दीजिए – बिहार में वह सब कुछ है जो एक महान राज्य में होना चाहिए। यहां इतिहास है, संस्कृति है, विविधता है, जागरूकता है, संभावना है। बिहार में कमी नहीं है – कमी है हमारी समझ में, जो सिर्फ आंकड़ों से राज्य को आंकती है।
113 साल बाद भी अगर यह सवाल है, तो यह शर्मनाक है। बिहार को समझने के लिए सिर्फ चुनाव के समय नहीं, बल्कि हमेशा ध्यान देना होगा। क्योंकि बिहार सिर्फ 40 लोकसभा और 243 विधानसभा सीटों का नाम नहीं – यह भारत की आत्मा का एक अहम हिस्सा है.