YOU TUBE LINK FOR LATA JI’s FIRST POPULAR HINDI SONG

स्वर साम्राज्ञी लता जी: जिनकी आवाज़ आज भी सामाजिक माध्यमों पर छाई रहती है
नई दिल्ली, 28 सितंबर 2025 – जब कोई युवा लड़की अपने गीत वाले वीडियो में “लग जा गले से फिर ये हसीन रात हो ना हो” गुनगुनाती है, तो वह शायद ही जानती हो कि वह 1964 के एक गीत को 2025 में जिंदा कर रही है। यही है लता मंगेशकर की आवाज़ की अमरता – जो ९६ साल बाद भी नई पीढ़ी के दिलों में गूंजती है।
गिनीज बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स ने १९७४ में लता मंगेशकर को मानव इतिहास की सर्वाधिक रिकॉर्डिंग करने वाली कलाकार घोषित किया था। उन्होंने लगभग ३०,००० एकल, युगल और समूह गानों की रिकॉर्डिंग की थी, जबकि छत्तीस से अधिक भारतीय भाषाओं में गाने गाए थे।
१३ वर्ष की आयु में लता जी ने १९४२ में मराठी फ़िल्म ‘किती हसाल’ के लिए “नाचू या गडे, खेलू सारी मनी हौस भारी” गीत गाया था, परंतु यह गाना बाद में फ़िल्म से हटा दिया गया। उनका पहला हिंदी गाना मराठी फ़िल्म ‘गजाभाऊ’ (१९४३) के लिए “माता एक सपूत की दुनिया बदल दे तू” था। उनकी पहली हिंदी हिट फ़िल्म ‘अंदाज़’ (१९४९) का गाना “उठाए जा उनके सितम” था।
पिता की मृत्यु के बाद १३ साल की उम्र में गायन शुरू करने वाली लता जी ने १९४५ में मुंबई का रुख किया। संगीत निर्देशक गुलाम हैदर ने उनका मार्गदर्शन किया। प्रारंभ में उन्हें अभिनय भी करना पड़ता था, जिसे वे पसंद नहीं करती थीं। उन्होंने देश-विदेश में सैकड़ों मंच प्रदर्शन किए। उनके संगीत कार्यक्रम पूरी तरह भर जाते थे। विदेशों में बसे भारतीयों के लिए उनके कार्यक्रम मातृभूमि से जुड़ाव का माध्यम थे।
डिजिटल युग में सामाजिक माध्यमों पर लोकप्रियता
आज यूट्यूब पर उनके गाने “लग जा गले” के विभिन्न संस्करण मिलाकर ५० करोड़ से अधिक बार देखे गए हैं। युवा कलाकार उनके गानों को नए अंदाज़ में प्रस्तुत करते हैं और लाखों लोग देखते हैं। सामाजिक माध्यमों पर सर्वाधिक लोकप्रिय १० गाने इस प्रकार हैं:
१. लग जा गले – प्रेमी जोड़ों के वीडियो में सर्वाधिक उपयोग २. एक प्यार का नगमा है – विवाह समारोह के वीडियो की पहली पसंद ३. आपकी नज़रों ने समझा – रोमांटिक वीडियो का आधार ४. तेरे बिना जिंदगी से – भावनात्मक वीडियो का मुख्य गीत ५. तुझे देखा तो ये जाना सनम – प्रेम कहानी वीडियो का पसंदीदा ६. प्यार दिवाना होता है – नृत्य वीडियो में चलन ७. मेरा जूता है जापानी – हास्य सामग्री निर्माताओं की पसंद ८. ऐ मेरे वतन के लोगों – स्वतंत्रता दिवस पर व्यापक प्रसार ९. अल्लाह तेरो नाम – आध्यात्मिक सामग्री का आधार १०. गोरे रंग पे ना इतना गुमान कर – सामाजिक संदेश वाले वीडियो में लोकप्रिय
दिलचस्प बात यह है कि एक ही गाना अलग-अलग आयु वर्गों में अलग कारणों से व्यापक प्रसार पाता है। आज की पीढ़ी इन गानों को नए संदर्भों में इस्तेमाल करती है जो उनकी कालजयी अपील को दर्शाता है।
भारतीय संस्कृति की धरोहर
लता जी ने मुख्यतः हिंदी, बंगाली और मराठी में गाया, परंतु कुल मिलाकर छत्तीस से अधिक भारतीय भाषाओं में उनके गाने हैं। उन्होंने तीन पीढ़ियों की अभिनेत्रियों के लिए गाया – १९५० के दशक में नर्गिस से लेकर १९९० के दशक में माधुरी दीक्षित और प्रीति जिंटा तक।
१९६२ के भारत-चीन युद्ध के दौरान लता जी ने “ऐ मेरे वतन के लोगों” गाया था, जिसे सुनकर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आंखों में आंसू आ गए थे। यह गीत आज भी राष्ट्रीय त्योहारों पर बजाया जाता है और देशभक्ति की भावना जगाता है।
पाकिस्तान में भी थी अपार लोकप्रियता
लता जी की आवाज़ सीमाओं से परे थी। पाकिस्तान में भी उन्हें अपार प्रेम मिला। उनकी बीमारी के समय एक पाकिस्तानी प्रशंसक ने उर्दू में लिखा था, “मैं बरसों से लता जी की आवाज़ का परिस्तार हूं और पाकिस्तान के लोग उनकी सलामती की दुआ कर रहे हैं।” पाकिस्तानी सीनेटर फैसल जावेद खान ने कहा था, “लता उपमहाद्वीप की सर्वश्रेष्ठ गायिकाओं में से एक थीं। हमारी लगभग सभी पीढ़ियां पिछले ६ दशकों से लता को सुनते हुए बड़ी हुई हैं।”
उनका संगीत धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक था। “अल्लाह तेरो नाम” और “सरस्वती वीणा” जैसे गीत सभी धर्मों के लोगों द्वारा समान भाव से सुने जाते थे। उनकी आवाज़ में वह जादू था जो हर दिल को छू जाता था, चाहे वह किसी भी देश का हो।
अयोध्या में स्थायी श्रद्धांजलि
२८ सितंबर २०२२ को लता जी की ९३वीं जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में लता मंगेशकर चौक का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आभासी माध्यम से इसका उद्घाटन किया। सरयू नदी के तट पर स्थित इस चौक का निर्माण ७.९ करोड़ रुपये की लागत से किया गया। ४० फीट लंबी और १२ मीटर ऊंची यह मूर्ति प्रसिद्ध मूर्तिकार राम सुतार द्वारा बनाई गई है। यह चौक एक तालाब के बीच में स्थित है जिसमें ९२ कमल के फूल हैं, जो लता जी के ९२ वर्षीय जीवन काल का प्रतीक हैं।
लता मंगेशकर सिर्फ़ एक गायिका नहीं थीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की जीवंत धरोहर थीं। सामाजिक माध्यमों पर उनके गानों की निरंतर लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि अच्छा संगीत कभी पुराना नहीं होता। उनकी आवाज़ आने वाली पीढ़ियों के लिए भारतीय संस्कृति की पहचान बनी रहेगी।
न्यूज़ ट्रस्ट इंडिया स्वर साम्राज्ञी की यादों और उनकी जीवन यात्रा को श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।